सम्प्रदान कारक
(4)सम्प्रदान कारक (Dative case) :- जिसके लिए कोई क्रिया (काम )की जाती है, उसे सम्प्रदान कारक कहते है।
दूसरे शब्दों में- जिसके लिए कुछ किया जाय या जिसको कुछ दिया जाय, इसका बोध करानेवाले शब्द के रूप को सम्प्रदान कारक कहते है।
इसकी विभक्ति 'को' और 'के लिए' है।
जैसे- शिष्य ने अपने गुरु के लिए सब कुछ किया। गरीब को धन दीजिए।
''वह अरुण के लिए मिठाई लाया।''
इस वाक्य में लाने का काम 'अरुण के लिए' हुआ। इसलिए 'अरुण के लिए' सम्प्रदान कारक है।
(i)कर्म और सम्प्रदान का एक ही विभक्तिप्रत्यय है 'को', पर दोनों के अर्थो में अन्तर है। सम्प्रदान का 'को', 'के लिए' अव्यय के स्थान पर या उसके अर्थ में प्रयुक्त होता है, जबकि कर्म के 'को' का 'के लिए' अर्थ से कोई सम्बन्ध नहीं है।
नीचे लिखे वाक्यों पर ध्यान दीजिए-
कर्म- हरि मोहन को मारता है।......... सम्प्रदान- हरि मोहन को रुपये देता है।
कर्म- उसके लड़के को बुलाया।.......... सम्प्रदान- उसने लड़के को मिठाइयाँ दी।
कर्म- माँ ने बच्चे को खेलते देखा।....... सम्प्रदान- माँ ने बच्चे को खिलौने खरीदे।
(ii) साधारणतः जिसे कुछ दिया जाता है या जिसके लिए कोई काम किया जाता है, वह पद सम्प्रदानकारक का होता है।
जैसे- भूखों को अत्र देना चाहिए और प्यासों को जल। गुरु ही शिष्य को ज्ञान देता है।
(iii) 'के हित', 'के वास्ते', 'के निर्मित' आदि प्रत्ययवाले अव्यय भी सम्प्रदानकारक के प्रत्यय है। जैसे-
राम के हित लक्ष्मण वन गये थे।
तुलसी के वास्ते ही जैसे राम ने अवतार लिया।
मेरे निर्मित ही ईश्र्वर की कोई कृपा नहीं।
(1)कर्ता कारक (Nominative case)
(2)कर्म कारक (Accusative case)
(3)करण कारक (Instrument case)
(4)सम्प्रदान कारक(Dative case)
(5)अपादान कारक(Ablative case)
(6)सम्बन्ध कारक (Gentive case)
(7)अधिकरण कारक (Locative case)
(8)संबोधन कारक(Vocative case)
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