संस्कृत के तद्धित-प्रत्यय
संस्कृत के तद्धित-प्रत्ययों से बने जो शब्द हिन्दी में विशेषतया प्रचलित हैं, उनके आधार पर संस्कृत के ये तद्धित-प्रत्यय हैं- अ, अक आयन, इक, इत, ई, ईन, क, अंश, म, तन, त, ता, त्य, त्र, त्व, था, दा, धा, निष्ठ, मान्, मय, मी, य, र, ल, लु, वान्, वी, श, सात् इत्यादि।
शब्दांश भी तद्धित-प्रत्ययों के रूप में प्रयुक्त होते हैं। ये शब्दांश समास के पद है; जैसे- अतीत, अनुरूप, अनुसार, अर्थ, अर्थी, आतुर, आकुल, आढ़य, जन्य, शाली, हीन इत्यादि।
प्रत्यय सम्बंधित और महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी ( जो सरकारी परीक्षा मे आ चुके है )
अर्थ के अनुसार इन प्रत्ययों के प्रयोग के उदाहरण इस प्रकार हैं-
प्रत्यय | संज्ञा-विशेषण | तद्धितान्त | वाचक |
अ | कुरु | कौरव | अपत्य |
अ | शिव | शौव | संबंध |
अ | निशा | नैश | गुण, सम्बन्ध |
अ | मुनि | मौन | भाव |
आयन | राम | रामायण | स्थान |
इक | तर्क | तार्किक | जानेवाला |
इत | पुष्प | पुष्पित | गुण |
ई | पक्ष | पक्षी | गुण |
ईन | कुल | कुलीन | गुण |
क | बाल | बालक | उन |
अंश | तः | अंशतः | रीति |
अंश | जन | जनता | समाहर |
म | मध्य | मध्यम | गुण |
तन | अद्य | अद्यतन | काल-सम्बन्ध |
तः | अंश | अंशतः | रीति |
ता | लघु | लघुता | भाव |
ता | जन | जनता | समाहार |
त्य | पश्र्चा | पाश्र्चात्य | सम्बन्ध |
त्र | अन्य | अन्यत्र | स्थान |
त्व | गुरु | गुरुत्व | भाव |
था | अन्य | अन्यथा | रीति |
दा | सर्व | सर्वदा | काल |
धा | शत | शतधा | प्रकार |
निष्ठ | कर्म | कर्मनिष्ठ | कर्तृ, सम्बन्ध |
म | मध्य | मध्यम | गुण |
मान् | बुद्धि | बुद्धिमान् | गुण |
मय | काष्ठ | काष्ठमय | विकार |
मय | जल | जलमय | व्याप्ति |
मी | वाक् | वाग्मी | कर्तृ |
य | मधुर | माधुर्य | भाव |
य | दिति | दैत्य | अपत्य |
य | ग्राम | ग्राम्य | सम्बन्ध |
र | मधु | मधुर | गुण |
ल | वत्स | वत्सल | गुण |
लु | निद्रा | निद्रालु | गुण |
वान् | धन | धनवान् | गुण |
वी | माया | मायावी | गुण |
श | रोम | रोमेश | गुण |
श | कर्क | कर्कश | स्वभाव |
सात् | भस्म | भस्मसात् | विकार |
संस्कृत की तत्सम संज्ञाओं के अन्त में तद्धित-प्रत्यय लगाने से भाववाचक, अपत्यावाचक (नामवाचक) और गुणवाचक विशेषण बनते हैं।
अब इन प्रत्ययों द्वारा विभित्र वाचक संज्ञाओं और विशेषणों से विभित्र वाचक संज्ञाओं और विशेषणों के निर्माण इस प्रकार हैं-
जातिवाचक से भाववाचक संज्ञाएँ- संस्कृत की तत्सम जातिवाचक संज्ञाओं के अन्त में तद्धित प्रत्यय लगाकर भाववाचक संज्ञाएँ बनती हैं। इसके उदाहरण इस प्रकार है-
प्रत्यय सम्बंधित और महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी ( जो सरकारी परीक्षा मे आ चुके है )
तद्धित प्रत्यय | संज्ञा | भाववाचक संज्ञा |
ता | शत्रु | शत्रुता |
ता | वीर | वीरता |
त्व | गुरु | गुरुत्व |
त्व | मनुष्य | मनुष्यत्व |
अ | मुनि | मौन |
य | पण्डित | पाण्डित्य |
इमा | रक्त | रक्तिमा |
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