सम्बन्ध कारक (Gentive case)
(6)सम्बन्ध कारक (Gentive case):-शब्द के जिस रूप से संज्ञा या सर्वनाम के संबध का ज्ञान हो, उसे सम्बन्ध कारक कहते है।
दूसरे शब्दों में- संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से किसी अन्य शब्द के साथ सम्बन्ध या लगाव प्रतीत हो, उसे सम्बन्धकारक कहते है।
इसकी विभक्ति 'का', 'की', और 'के' हैं।
जैसे- ''सीता का भाई आया है।''
इस वाक्य में गीता तथा भाई दोनों शब्द संज्ञा है। भाई से गीता का संबध दिखाया गया है। वह किसका भाई है ? गीता का। इसलिए गीता का संबध कारक है ।
रहीम का मकान छोटा है। संबंध का लिंग-वचन संबद्ध वस्तु के अनुसार होता है। जैसे- रहीम की कोठरी, रहीम के बेटे। सर्वनाम में संबंध में 'का', 'की', 'के' प्रत्यय का रूप 'रा', 'री', 'रे' या 'ना', 'नी', 'ने' भी होता है। जैसे- मेरा लड़का, मेरी लड़की, मेरे लड़के या अपना लड़का, अपनी लड़की, अपने लड़के।
कारक सम्बंधित और महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी ( जो सरकारी परीक्षा मे आ चुके है )
(i) सम्बन्धकारक का विभक्तिचिह्न 'का' है। वचन और लिंग के अनुसार इसकी विकृति 'के' और 'की' है। इस कारक से अधिकतर कर्तृत्व, कार्य-कारण, मोल-भाव, परिमाण इत्यादि का बोध होता है।
जैसे-
अधिकतर- राम की किताब, श्याम का घर।
कर्तृत्व- प्रेमचन्द्र के उपन्यास, भारतेन्दु के नाटक।
कार्य-करण- चाँदी की थाली, सोने का गहना।
मोल-भाव- एक रुपए का चावल, पाँच रुपए का घी।
परिमाण- चार भर का हार, सौ मील की दूरी, पाँच हाथ की लाठी।
द्रष्टव्य- बहुधा सम्बन्धकारक की विभक्ति के स्थान में 'वाला' प्रत्यय भी लगता है। जैसे- रामवाली किताब, श्यामवाला घर, प्रेमचन्दवाले उपन्यास, चाँदीवाली थाली इत्यादि।
(ii) सम्बन्धकारक की विभक्तियों द्वारा कुछ मुहावरेदार प्रयोग भी होते है। जैसे-
(अ) दिन के दिन, महीने के महीने, होली की होली, दीवाली की दीवाली, रात की रात, दोपहर के दोपहर इत्यादि।
(आ) कान का कच्चा, बात का पक्का, आँख का अन्धा, गाँठ का पूरा, बात का धनी, दिल का सच्चा इत्यादि।
(इ) वह अब आने का नहीं, मैं अब जाने का नहीं, वह टिकने का नहीं इत्यादि।
(iii) दूसरे कारकों के अर्थ में भी सम्बन्धकारक की विभक्ति लगती है। जैसे- जन्म का भिखारी= जन्म से भिखारी (करण), हिमालय का चढ़ना= हिमालय पर चढ़ना (अधिकरण)।
कारक सम्बंधित और महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी ( जो सरकारी परीक्षा मे आ चुके है )
(iv) सम्बन्ध, अधिकार और देने के अर्थ में बहुधा सम्बन्धकारक की विभक्ति का प्रयोग होता है। जैसे- हरि को बाल-बच्चा नहीं हैं। राम के बहन हुई है। राजा के आँखें नहीं होती, केवल कान होते हैं। रावण ने विभीषण के लात मारी। ब्राह्मण को दक्षिणा दो।
(v) सर्वनाम की स्थिति में सम्बन्धकारक का प्रत्यय रा-रे-री और ना-ने-नी हो जाता है। जैसे- मेरा लड़का, मेरी लड़की, तुम्हारा घर, तुम्हारी पगड़ी, अपना भरोसा, अपनी रोजी।
(1)कर्ता कारक (Nominative case)
(2)कर्म कारक (Accusative case)
(3)करण कारक (Instrument case)
(4)सम्प्रदान कारक(Dative case)
(5)अपादान कारक(Ablative case)
(6)सम्बन्ध कारक (Gentive case)
(7)अधिकरण कारक (Locative case)
(8)संबोधन कारक(Vocative case)
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