रक्षा-बन्धन
का त्यौहार है,
हर
तरफ खुशियों की बौछार है,
और
बंधा एक रेशम की डोरी में
भाई-बहन
का प्यार है।
ये लम्हा कुछ खास
है,
बहन के हाथों में
भाई का हाथ है,
ओ बहना तेरे लिए
मेरे पास कुछ खास है,
तेरे सुकून की
ख़ातिर मेरी बहना,
तेरा भाई हमेशा
तेरे साथ है।
याद आता है अक्सर वो गुजरा
ज़माना,
तेरी मीठी सी आवाज में भैया कहकर बुलाना,
वो सुबह स्कूल के लिए मुझे जगाना,
अब क्या करे दीदी ये ही है ज़िन्दगी का तराना।
तेरी मीठी सी आवाज में भैया कहकर बुलाना,
वो सुबह स्कूल के लिए मुझे जगाना,
अब क्या करे दीदी ये ही है ज़िन्दगी का तराना।
आती थी, जाती
थी,
हस्ती थी, हँसाती थी,
भागती थी, भगाती थी,
बोलती थी, बुलवाती थी,
पर आज पता चला कि,
वह मुझे राखी बाँधना चाहती थी।
हस्ती थी, हँसाती थी,
भागती थी, भगाती थी,
बोलती थी, बुलवाती थी,
पर आज पता चला कि,
वह मुझे राखी बाँधना चाहती थी।
नींद अपनी भुलाकर
सुलाये हमको,
आँसू अपने गिराकर
हँसाये सबको,
दर्द कभी न देना
उस देवी के अवतार को,
ज़माना कहता है
बहन जिसको।Page1 | Page 2 | Page 3 | Page 4 | Page 5 | Page 6 |
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